Wednesday, May 22, 2013

TRAIN MEIN NISHA KI CHUDAI


निशा मेरे छोटे भाई रुपम की वाइफ़ है। निशा काफ़ी सुंदर महिला है। उसका बदन ऊपरवाले ने काफ़ी तसल्ली से तराश कर बनाया है। मैं शिवम उसका जेठ हूं। मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं। निशा शुरु से ही मुझे काफ़ी अच्छी लगती थी। मुझसे वो काफ़ी खुली हुई थी। रुपम एक यूके बेस्ड कम्पनी में सर्विस करता था। हां बताना तो भूल ही गया निशा का मायका नागपुर में है और हम जालंधर में रहते हैं।

आज से कोई पांच साल पहले की बात है। हुआ यूं कि शादी के एक साल बाद ही निशा प्रिग्नेंट हो गयी। डिलीवरी के लिये वो अपने मायके गयी हुई थी। सात महीने में प्रीमेच्योर डिलीवरी हो गयी। बच्चा शुरु से ही काफ़ी वीक था। दो हफ़्ते बाद ही बच्चे की डेथ हो गयी। रुपम तुरंत छुट्टी लेकर नागपुर चला गया। कुछ दिन वहां रह कर वापस आया। वापस अकेला ही आया था। डिसाइड ये हुआ था कि निशा की हालत थोड़ी ठीक होने के बाद आयेगी। एक महीने के बाद जब निशा को वापस लाने की बात आयी तो रुपम को छुट्टी नहीं मिली। निशा को लेने जाने के लिये रुपम ने मुझे कहा। सो मैं निशा को लेने ट्रैन से निकला। निशा को वैसे मैने कभी गलत निगाहों से नहीं देखा था। लेकिन उस यात्रा मे हम दोनो में कुछ ऐसा हो गया कि मेरे सामने हमेशा घूंघट में घूमने वाली निशा बेपर्दा हो गयी।


हमारी टिकट 1st class में बुक थी। चार सीटर कूपे में दो सीट पर कोई नहीं आया। हम ट्रैन में चढ़ गये। गरमी के दिन थे। जब तक ट्रैन स्टेशन से नहीं छूटी तब तक वो मेरे सामने घूंघट में खड़ी थी। मगर दूसरों के आंखों से ओझल होते ही उसने घूंघट उलट दिया और कहा, "अब आप चाहे कुछ भी समझें मैं अकेले में आपसे घूंघट नहीं करूंगी। मुझे आप अच्छे लगते हो आपके सामने तो मैं ऐसी ही रहूंगी।" मैं उसकी बात पर हँस पड़ा।
"मैं भी घूंघट के समर्थन में कभी नहीं रहा।" मैने पहली बार उसके बेपर्दा चेहरे को देखा। मैं उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया। अचानक मेरे मुंह से निकला "अब घूंघट के पीछे इतना लाजवाब हुश्न छिपा है उसका पता कैसे लगता।" उसने मेरी ओर देखा फ़िर शर्म से लाल हो गयी। उसने बोतल ग्रीन रंग की एक शिफ़ोन की साड़ी पहन रखी थी। ब्लाउज़ भी मैचिंग पहना था। गर्मी के कारण बात करते हुए साड़ी का आंचल ब्लाउज़ के ऊपर से सरक गया। तब मैने जाना कि उसने ब्लाउज़ के अन्दर ब्रा नही पहनी हुई है। उसके स्तन दूध से भरे हुए थे इसलिये काफ़ी बड़े बड़े हो गये थे। ऊपर का एक हुक टूटा हुआ था इसलिये उसकी आधी छातियां साफ़ दिख रही थी। पतले ब्लाउज़ में से ब्रा नहीं होने के कारण निप्पल और उसके चारों ओर का काला घेरा साफ़ नजर आ रहा था। मेरी नजर उसकी छाती से चिपक गयी। उसने बात करते करते मेरी ओर देखा। मेरी नजरों का अपनी नजरों से पीछा किया और मुझे अपने बाहर छलकते हुए बूब को देखता पाकर शर्मा गयी और जल्दी से उसे आंचल से ढक लिया। हम दोनो बातें करते हुए जा रहे थे। कुछ देर बाद वो उठकर बाथरूम चली गयी। कुछ देर बाद लौट कर आयी तो उसका चेहरा थोड़ा गम्भीर था। हम वापस बात करने लगे। कुछ देर बाद वो वापस उठी और कुछ देर बाद लौट कर आ गयी। मैने देखा वो बात करते करते कसमसा रही है। अपने हाथो से अपने ब्रेस्ट को हलके से दबा रही है।
"कोई प्रोब्लम है क्या?' मैने पूछा।

"न।।नहीं" मैने उसे असमंजस में देखा। कुछ देर बाद वो फिर उठी
तो मैने कहा "मुझे बताओ न क्या प्रोब्लम है?"


वो झिझकती हुई सी खड़ी रही। फ़िर बिना कुछ बोले बाहर चली गयी। कुछ देर बाद वापस आकर वो सामने बैठ गयी।"मेरी छातियों में दर्द हो रहा है।" उसने चेहरा ऊपर उठाया तो मैने देखा उसकी आंखें आंसु से छलक रही हैं।"क्यों क्या हुआ" मर्द वैसे ही औरतों के मामले में थोड़े नासमझ होते हैं। मेरी भी समझ में नहीं आया अचानक उसे क्या हो गया।"जी वो क्या है म्म वो मेरी छातियां भारी हो रही हैं।" वो समझ नहीं पा रही थी कि मुझे कैसे समझाये आखिर मैं उसका जेठ था।" म्मम मेरी छातियों में दूध भर गया है लेकिन निकल नहीं पा रहा है।" उसने नजरें नीची करते हुए कहा।"बाथरूम जाना है?" मैने पूछा"गयी थी लेकिन वाश-वेसिन बहुत गंदा है इसलिये मैं वापस चली अयी" उसने कहा "और बाहर के वाश-वेसिन में मुझे शर्म आती है कोई देख ले तो क्या सोचेगा?" "फ़िर क्या किया जाए?" मैं सोचने लगा "कुछ ऐसा करें जिससे तुम यहीं अपना दूध खाली कर सको। लेकिन किसमें खाली करोगी? नीचे फ़र्श पर गिरा नहीं सकती और यहां कोई बर्तन भी नही है जिसमें दूध निकाल सको"उसने झिझकते हुये फ़िर मेरी तरफ़ एक नजर डाल कर अपनी नजरें झुका ली। वो अपने पैर के नखूनों को कुरेदती हुई बोली, "अगर आप गलत नहीं समझें तो कुछ कहूं?""बोलो""आप इन्हें खाली कर दीजिये न""मैं? मैं इन्हें कैसे खाली कर सकता हूं।" मैने उसकी छातियों को निगाह भर कर देखा।"आप अगर इस दूध को पीलो……"उसने आगे कुछ नहीं कहा। मैं उसकी बातों से एकदम भौचक्का रह गया।"लेकिन ये कैसे हो सकता है। तुम मेरे छोटे भाई की बीवी हो। मैं तुम्हारे स्तनों में मुंह कैसे लगा सकता हूं""जी आप मेरे दर्द को कम कर रहे हैं इसमें गलत क्या है। क्या मेरा आप पर कोई हक नहीं है।?" उसने मुझसे कहा "मेरा दर्द से बुरा हाल है और आप सही गलत के बारे में सोच रहे हो। प्लीज़।"मैं चुप चाप बैठा रहा समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूं। अपने छोटे भाई की बीवी के निप्पल मुंह में लेकर दूध पीना एक बड़ी बात थी। उसने अपने ब्लाउज़ के सारे बटन खोल दिये।"प्लीज़" उसने फ़िर कहा लेकिन मैं अपनी जगह से नहीं हिला।"जाइये आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। आप अपने रूढ़ीवादी विचारों से घिरे बैठे रहिये चाहे मैं दर्द से मर ही जाउं।" कह कर उसने वापस अपने स्तनों को आंचल से ढक लिया और अपने हाथ आंचल के अंदर करके ब्लाउज़ के बटन बंद करने की कोशिश करने लगी लेकिन दर्द से उसके मुंह से चीख निकल गयी "आआह्हह्ह" ।मैने उसके हाथ थाम कर ब्लाउज़ से बाहर निकाल दिये। फ़िर एक झटके में उसके आंचल को सीने से हटा दिया। उसने मेरी तरफ़ देखा। मैं अपनी सीट से उठ कर केबिन के दरवाजे को लोक किया और उसके बगल में आ गया। उसने अपने ब्लाउज़ को उतार दिया। उसके नग्न ब्रेस्ट जो कि मेरे भाई की अपनी मिल्कियत थी मेरे सामने मेरे होंठों को छूने के लिये बेताब थे। मैने अपनी एक उंगली को उसके एक ब्रेस्ट पर ऊपर से फ़ेरते हुए निप्पल के ऊपर लाया। मेरी उंगली की छुअन पा कर उसके निप्पल अंगूर की साइज़ के हो गये। मैं उसकी गोद में सिर रख कर लेट गया। उसके बड़े बड़े दूध से भरे हुए स्तन मेरे चेहरे के ऊपर लटक रहे थे। उसने मेरे बालों को सहलाते हुए अपने स्तन को नीचे झुकाया। उसका निप्पल अब मेरे होंठों को छू रहा था। मैने जीभ निकाल कर उसके निप्पल को  छूआ।"ऊओफ़्फ़फ़्फ़ जेठजी अब मत सताओ। पलेअसे इनका रस चूस लो।" कहकर उसने अपनी छाती को मेरे चेहरे पर टिका दिया। मैने अपने होंठ खोल कर सिर्फ़ उसके निप्पल को अपने होंठों में लेकर चूसा। मीठे दूध की एकतेज़ धार से मेरा मुंह भर गया। मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी आंखों में शर्म की परछाई तैर रही थी। मैने मुंह में भरे दूध को एक घूंठ में अपने गले के नीचे उतार दिया।"आआअह्हह्हह" उसने अपने सिर को एक झटका दिया।मैने फ़िर उसके निप्पल को जोर से चूसा और एक घूंठ दूध पिया। मैं उसके दूसरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदने लगा।"ऊओह्हह ह्हह्हाआन्न हाआन्नन जोर से चूसो और जोर से। प्लीज़ मेरे निप्पल को दांतों से दबाओ। काफ़ी खुजली हो रही है।" उसने कहा। वो मेरे बालों में अपनी उंगलियां फ़ेर रही थी। मैने दांतों से उसके निप्पल को जोर से दबाया।"ऊउईईइ" कर उठी। वो अपने ब्रेस्ट को मेरे चेहरे पर दबा रही थी। उसके हाथ मेरे बालों से होते हुए मेरी गर्दन से आगे बढ़ कर मेरे शर्ट के अन्दर घुस गये। वो मेरी बालों भरी छाती पर हाथ फ़ेरने लगी। फ़िर उसने मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों से कुरेदा। "क्या कर रही हो?" मैने उससे पूछा।"वही जो तुम कर रहे हो मेरे साथ" उसने कहा"क्या कर रहा हूं मैं तुम्हारे साथ" मैने उसे छेड़ा"दूध पी रहे हो अपने छोटे भाई की बीवी के स्तनों से""काफ़ी मीठा है""धत" कहकर उसने अपने हाथ मेरे शर्ट से निकाल लिये और मेरे चेहरे पर झुक गयी। इससे उसका निप्पल मेरे मुंह से निकल गया। उसने झुक कर मेरे लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये और मेरे होंठों के कोने पर लगे दूध को अपनी जीभ से साफ़ किया। फ़िर वो अपने हाथों से वापस अपने निप्पल को मेरे लिप्स पर रख दी। मैने मुंह को काफ़ी खोल कर निप्पल के साथ उसके बूब का एक पोर्शन भी मुंह में भर लिया। वापस उसके दूध को चूसने लगा। कुछ देर बाद उस स्तन से दूध आना कम हो गया तो उसने अपने स्तन को दबा दबा कर जितना हो सकता था दूध निचोड़ कर मेरे मुंह में डाल दिया।"अब दूसरा"मैने उसके स्तन को मुंह से निकाल दिया फ़िर अपने सिर को दूसरे स्तन के नीचे एडजस्ट किया और उस स्तन को पीने लगा। उसके हाथ मेरे पूरे बदन पर फ़िर रहे थे। हम दोनो ही उत्तेजित हो गये थे। उसने अपना हाथ अगे बढ़ा कर मेरे पैंट की ज़िप पर रख दिया। मेरे लिंग पर कुछ देर हाथ यूं ही रखे रही। फ़िर उसे अपने हाथों से दबा कर उसके साइज़ का जायजा लिया।"काफ़ी तन रहा है" उसने शर्माते हुए कहा।"तुम्हारी जैसी हूर पास इस अन्दाज में बैठी हो तो एक बार तो विश्वामित्र की भी नीयत डोल जाये।""म्मम्म अच्छा। और आप? आपके क्या हाल हैं" उसने मेरे ज़िप की चैन को खोलते हुए पूछा"तुम इतने कातिल मूड में हो तो मेरी हालत ठीक कैसे रह सकती है" उसने अपना हाथ मेरे ज़िप से अन्दर कर ब्रीफ़ को हटाया और मेरे तने हुए लिंग को निकालते हुए कहा "देखूं तो सही कैसा लगता है दिखने में"मेरे मोटे लिंग को देख कर खूब खुश हुयी। "अरे बाप रे कितना बड़ा लिंग है आपका। दीदी कैसे लेती है इसे?""आ जाओ तुम्हें भी दिखा देता हूं कि इसे कैसे लिया जाता है।""धत् मुझे नहीं देखना कुछ। आप बड़े वो हो" उसने शर्मा कर कहा।लेकिन उससे हाथ हटाने की कोई जल्दी नहीं की।"इसे एक बार किस तो करो" मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर झुकाते हुए कहा। उसने झिझकते हुए मेरे लिंग पर अपने होंठ टिका दिये। अब तक उसका दूसरा स्तन भी खाली हो गया था। उसके झुकने के कारण मेरे मुंह से निप्पल छूट गया। मैने उसके सिर को हलके से दबाया तो उसने अपने होंठों को खोल कर मेरे लिंग को जगह दे दी। मेरा लिंग उसके मुंह में चला गया। उसने दो तीन बार मेरे लिंग को अन्दर बाहर किया फ़िर उसे अपने मुंह से निकाल लिया।"ऐसे नहीं… ऐसे मजा नहीं आ रहा है""हां अब हमें अपने बीच की इन दीवारों को हटा देना चाहिये" मैने अपने कपड़ों की तरफ़ इशारा किया। मैने उठकर अपने कपड़े उतार दिये फ़िर उसे बाहों से पकड़ कर उठाया। उसकी साड़ी और पेटीकोट को उसके बदन से अलग कर दिया। अब हम दोनो बिल्कुल नग्न थे। तभी किसी ने दरवाजे पर नोक किया। "कौन हो सकता है।" हम दोनो हड़बड़ी में अपने अपने कपड़े एक थैली में भर लिये और निशा बर्थ पर सो गयी। मैने उसके नग्न शरीर पर एक चादर डाल दी। इस बीच दो बार नोक और हुअ। मैने दरवाजा खोला बाहर टीटी खड़ा था। उसने अन्दर आकर टिकट चेक किया और कहा "ये दोनो सीट खाली रहेंगी इसलिये आप चाहें तो अन्दर से लोक करके सो सकते हैं" और बाहर चला गया। मैने दरवाजा बंद किया और निशा के बदन से चादर को हटा दिया। निशा शर्म से अपनी जांघों के जोड़ को और अपनी छातियों को ढकने की कोशिश कर रही थी। मैने उसके हाथों को पकड़ कर हटा दिया तो उसने अपने शरीर को सिकोड़ लिया और कहा "प्लीज़ मुझे शर्म आ रही है।" मैं उसके ऊपर चढ़ कर उसकी योनि पर अपने मुंह को रखा। इससे मेरा लिंग उसके मुंह के ऊपर था। उसने अपने मुंह और पैरों को खोला। एक साथ उसके मुंह में मेरा लिंग चला गया और उसकी योनि पर मेरे होंठ सट गये।

"आह विशाल जी क्या कर रहे हो मेरा बदन जलने लगा है। पंकज ने कभी इस तरह मेरी योनि पर अपनी जीभ नहीं डाली" उसके पैर छटपटा रहे थे। उसने अपनी टांगों को हवा में उठा दिया और मेरे सिर को उत्तेजना में अपनी योनि पर दबाने लगी। मैं उसके मुंह में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा। मेरे हाठ उसकी योनि की फ़ांकों को अलग कर रखे थे और मेरी जीभ अंदर घूम रही थी। वो पूरी तन्मयता से अपने मुंह में मेरे लिंग को जितना हो सकता था उतना अंदर ले रही थी। काफ़ी देर तक इसी तरह 69 पोज़िशन में एक दूसरे के साथ मुख मैथुन करने के बाद लगभग दोनो एक साथ खल्लास हो गये। उसका मुंह मेरे रस से पूरा भर गया था। उसके मुंह से चू कर मेरा रस एकपतली धार के रूप में उसके गुलाबी गालों से होता हुआ उसके बालों में जाकर खो रहा था। मैं उसके शरीर से उठा तो वो भी उठ कर बैठ गयी। हम दोनो एक दम नग्न थे और दोनो के शरीर पसीने से लथपथ थे। दोनो एक दूसरे से लिपट गये और हमारे होंठ एक दूसरे से ऐसे चिपक गये मानो अब कभी भी न अलग होने की कसम खा ली हो। कुछ मिनट तक यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूमते रहे फ़िर हमारे होंठ एक दूसरे के बदन पर घूमने लगे।"अब आ जाओ" मैने निशा को कहा।"जेठजी थोड़ा सम्भाल कर। अभी अंदर नाजुक है। आपका बहुत मोटा हैकहीं कोई जख्म न हो जाये।""ठीक है। चलो बर्थ पर हाथों और पैरों के बल झुक जाओ। इससे ज्यादा अंदर तक जाता है और दर्द भी कम होता है।"निशा उठकर बर्थ पर चौपाया हो गयी। मैं पीछे से उसकी योनि पर अपना लंड सटा कर हलका सा धक्का मारा। गीली तो पहले ही हो रही थी। धक्के से मेरे लंड के आगे का टोपा अंदर धंस गया। एक बच्चा होने के बाद भी उसकी योनि काफ़ी टाइट थी। वो दर्द से "आआह्हह" कर उठी। मैं कुछ देर के लिये उसी पोज़ में शांत खड़ा रहा। कुछ देर बाद जब दर्द कम हुआ तो निशा ने ही अपनी गांड को पीछे धकेला जिससे मेरा लंड पूरा अंदर चला जाये।"डालो न रुक क्यों गये।""मैने सोचा तुम्हें दर्द हो रहा है इसलिये।""इस दर्द का मजा तो कुछ और ही होता है। आखिर इतना बड़ा है दर्द तो करेगा ही।" उसने कहा। फ़िर वो भी मेरे धक्कों का साथ देते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी। मैं पीछे से शुरु शुरु में सम्भल कर धक्का मार रहा था लेकिन कुछ देर के बाद मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के से उसके दूध भरे स्तन उछल उछल जाते थे।

मैने उसकी पीठ पर झुकते हुए उसके स्तनो को अपने हाथों से थाम लिया। लेकिन मसला नहीं, नहीं तो सारी बर्थ उसके दूध की धार से भीग जाती। काफ़ी देर तक उसे धक्के मारने के बाद उसने अपने सिर को को जोर जोर से झटकना चालू किया।"आआह्हह्ह शीईव्वव्वाअम्मम आआअह्हह्ह तूउम्म इतनीए दिन कहा थीए। ऊऊओह्हह माआईईइ माअर्रर्रर जाऊऊं गीइ। मुझीए माअर्रर्रर डालूऊओ मुझीए मसाअल्ल डाअल्लूऊ" और उसकी योनि में रस की बौछार होने लगी। कुछ धक्के मारने के बाद मैने उसे चित लिटा दिया और ऊपर से अब धक्के मारने लगा।"आअह मेरा गला सूख रहा है।" उसका मुंह खुला हुआ था। और जीभ अंदर बाहर हो रही थी। मैने हाथ बढ़ा कर मिनरल वाटर की बोतल उठाई और उसे दो घूंठ पानी पिलाया। उसने पानी पीकर मेरे होंठों पर एक किस किया।"चोदो शिवम चोदो। जी भर कर चोदो मुझे।" मैं ऊपर से धक्के लगाने लगा। काफ़ी देर तक धक्के लगाने के बाद मैने रस में डूबे अपने लिंग को उसकी योनि से निकाला और सामने वाली सीट पर पीठ के बल लेट गया।"आजा मेरे उपर" मैने निशा को कहा। निशा उठ कर मेरे बर्थ पर आ गयी और अपने घुटने मेरी कमर के दोनो ओर रख कर अपनी योनि को मेरे लिंग पर सेट करके धीरे धीरे मेरे लिंग पर बैठ गयी। अब वो मेरे लिंग की सवारी कर रही थी। मैने उसके निप्पल को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। तो वो मेरे ऊपर झुक गयी। मैने उसके निप्पल को सेट कर के दबाया तो दूध की एक धार मेरे मुंह में गिरी। अब वो मुझे चोद रही थी और मैं उसका दूध निचोड़ रहा था। काफ़ी देर तक मुझे चोदने के बाद वो चीखी "शिवम मेरे निकलने वाला है। मेरा साथ दो। मुझे भी अपने रस से भिगो दो।" हम दोनो साथ साथ झड़ गये। काफ़ी देर तक वो मेरे ऊपर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसे लेती रही।

फ़िर जब कुछ नोर्मल हुई तो उठ कर सामने वाली सीट पर लेट गयी। हम दोनो लगभग पूरे रास्ते नग्न एक दूसरे को प्यार करते रहे। लेकिन उसने दोबारा मुझे उस दिन और चोदने नहीं दिया, उसके बच्चेदानी में हल्का हल्का दर्द हो रहा था। लेकिन उसने मुझे आश्वासन दिया। "आज तो मैं आपको और नहीं दे सकुंगी लेकिन दोबारा जब भी मौका मिला तो मैं आपको निचोड़ लुंगी अपने अंदर। और हां अगली बार मेरे पेट में देखते हैं दोनो भाईयों में से किसका बच्चा आता है। उस यात्रा के दौरान कई बार मैने उसके दूध की बोतल पर जरूर हाथ साफ़ किया।

आज मैं बहुत खुश हूँ


मेरा नाम मानसी है। मैं जैसे जैसे बड़ी हो रही थी मेरे अन्दर भी हर लड़की की तरह सेक्स की भावना बढ़ती जा रही थी। लेकिन कभी किसी से शारीरिक संबंध बनाने से मैं भी डरती थी लेकिन जब मन करता था तो अकेले ही मुठ मार कर अपना काम चला लेती थी।

मन तो करता था कि कोई हो जो मुझे प्यार करे, जिसके साथ मैं वक़्त बिता सकूँ। 

लेकिन न कभी किसी और से प्यार हुआ न मेरी ज़िन्दगी में उसके बाद कोई और आया।

मैं हर वक़्त यही सोचती रहती थी कि कब मेरी भी शादी हो और मैं भी अपने पति से जी भर कर चुदवाऊँ। लेकिन मेरी शादी होने में अभी वक़्त था। धीरे धीरे मन में सेक्स की भावना इतनी बढ़ गई थी कि मैं यही सोचती कि कब मुझे मौका मिले और मैं जी भर कर ग्रुप सेक्स करूँ। कम से कम छः-सात लड़के मेरी एक साथ चुदाई करें।

मैं जानती थी कि ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन मन नहीं समझता उसे तो बस चूत की प्यास से मतलब था।

लेकिन मेरी यह इच्छा उस दिन पूरी हो ही गई जब एक दिन मेरे मम्मी-पापा कुछ दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे। घर में मैं और मेरा बड़ा भाई थे। मम्मी-पापा एक हफ्ते से पहले वापिस आने वाले नहीं थे। तभी भैया के पास उनके कुछ दोस्तों का फ़ोन आया, उन लोगों को मुंबई जाना था। लेकिन ख़राब मौसम होने की वजह से उनकी उड़ान रद्द हो गई। तो भैया ने उन्हें अपने घर आने के लिए कह दिया। सर्दी के दिन थे, भैया ने उन्हें कहा कि पूरी रात एअरपोर्ट पर कैसे रहोगे, घर आ जाओ। वो लोग मान गए।

वो दस लोग थे। भैया ने उन सबके खाने का इन्तज़ाम किया और उनका इंतज़ार करने लगे। तभी अचानक पापा का फ़ोन आया कि वो जिस रिश्तेदार के यहाँ गए थे उनकी मृत्यु हो गई है और भैया को वहाँ आना पड़ेगा। भैया ने पापा को बताया कि उनके कुछ दोस्त घर पर आ रहे हैं तो पापा ने कहा कि उन्हें मानसी खाना खिला देगी। लेकिन तुम्हारा यहाँ आना ज़रूरी है।

भैया ने अपने दोस्तों को फ़ोन कर दिया कि मुझे जाना पड़ेगा लेकिन मानसी घर पर है, तो तुम लोग आ जाओ और खाना खा कर यही आराम कर लेना। वो लोग राज़ी हो गए। जब वे सब घर पर आये तो मैं पहले तो थोड़ा घबरा गई कि मैं इनके साथ पूरे घर में अकेले कैसे करुँगी लेकिन भैया के दोस्त बहुत अच्छे थे और उन्होंने कहा कि तुम आराम से बैठी रहो और बस हमें यह बता दो कि सब चीज़ें कहाँ हैं हम खुद ले लेंगे। उनमें से दो लोग रसोई में आ गए और बाकी सब कमरे में बैठ कर टी.वी देखने लगे। मैंने उन्हें बता दिया लेकिन रसोई में उनके साथ ही खड़ी रही कि कहीं उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत न हो। उनमें से एक का नाम सागर था। मैंने महसूस किया कि वो जब से आया था तब से मुझे ही देखे जा रहा था और जब मैं उसे देखती थी तो वो अपनी नज़रें मुझ पर से हटा कर कहीं और देखने लगता था।

उसके बाद हम सबने साथ ही खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में सोने चली गई। उनमें से कुछ लोग मम्मी पापा के कमरे में लेट गए और कुछ भैया के कमरे में। मैं नीचे जाकर सो गई और अपने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। थोड़ी देर के बाद सागर नीचे आया और बोला- मानसी हमें नींद नहीं आ रही है, तुम कुछ फिल्म की सीडी निकाल कर दे दो हम देख लेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं उन्हें सीडी देने गई और सोचा कि नींद तो मुझे भी नहीं आ रही है तो मैं भी इन लोगों के साथ बैठ जाती हूँ।

मैं वहीं सागर की बगल में बैठ गई और थोड़ी देर में ही हम सबके बीच हंसी मजाक शुरू हो गया। तभी अचानक सागर ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाई। सागर मेरी और ही देख रहा था कि तभी उसका एक दोस्त नितिन बोला- क्या बात है सागर ! जब से आये हो, मानसी को ही देख रहे हो ! अगर पसंद आ गई है तो शादी का प्रस्ताव रख दो। इसके भाई को हम मना ही लेंगे।

उसने कहा- ऐसा कुछ नहीं है।

वैसे उसका हाथ पकड़ना मुझे भी अच्छा लगा। सर्दी के दिन थे हम सब रजाई में बैठे थे इसलिए किसी को पता नहीं चला कि उसने मेरा हाथ पकड़ा है। लेकिन अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ कि वो मेरे होठों पर चूमने लगा। उसके सब दोस्त हैरान रह गए और मैं भी।

मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूँ। पसंद तो वो भी मुझे पहली ही नज़र में आ गया था लेकिन मेरे दिल में यह डर बैठा था कि यह सब मेरे घर में पता चल गया तो क्या होगा। लेकिन उसे छोड़ने का मन मेरा भी नहीं कर रहा था। तभी नितिन ने भी पीछे से आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया लेकिन मैंने झटके से उसे पीछे कर दिया और सागर को भी।

मैंने कहा- आप लोग यह सब क्या कर रहे हो।

तभी सागर ने कहा- मानसी हम सब आज की रात यहाँ हैं और हम चाहते हैं कि तुम पूरी रात हमारे साथ रहो। हम तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहते हैं।

मैंने कहा- पागल हो गए हो क्या तुम सब लोग? मेरे घर में पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा।

उन्होंने कहा- हम तुम्हारे भाई को कभी पता नहीं चलने देंगे। हमारा विश्वास करो, आखिर वो हमारा दोस्त है।

मैं उन्हें मना करना चाहती थी कि तभी मैंने सोचा कि मेरा जो ग्रुप सेक्स करने का सपना था वो आज सच हो सकता है। वैसे भी ये दस लोग हैं मैं मना करुँगी तो यह मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हैं। तब मैं क्या करुँगी। इस से अच्छा है कि खुद ही राज़ी हो जाऊं। शायद ऐसा मौका दुबारा न मिले और अगर इन्होने मेरे घर में बता भी दिया तो मैं यह कह सकती हूँ कि यह इतने सारे लोग थे इन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की थी। मैं अकेली क्या करती।

तभी सागर ने मुझे पूछा- क्या सोच रही हो मानसी, तुम तैयार हो ना?

मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगी। वो समझ गए कि मैं तैयार हूँ। सागर के साथ किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था। 15 मिनट तक मैं उसे चूमती रही और मुझे कुछ भी होश नहीं था। जब मैं उससे अलग हुई तो नितिन ने आकर मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसके बाद उसके सभी दोस्तों ने मेरे साथ यही किया और ऐसे ही एक घण्टा बीत गया। उस वक़्त तक हम में से किसी ने भी अपने कपड़े नहीं उतारे थे।

तभी सागर ने कहा- मानसी, तुम हम सबके कपड़े उतारो !

तो मैंने कहा- ठण्ड है ! नहीं होगा।

हमने रूम-हीटर चालू किया और उसके बाद मैंने एक एक करके उन सबके कपड़े उतार दिए।

तभी नितिन बोला- अब हम एक खेल खेलेंगे। उसने कहा- मानसी दो दो मिनट के लिए सबके लण्ड चूसेगी और जिसका लंड ज्यादा जल्दी खड़ा होगा वही सबसे पहले चोदेगा।
लेकिन मैं सबसे पहले सागर से चुदवाना चाहती थी। पता नहीं क्यूँ ! शायद वो मुझे पसंद था इसलिए।

उसके बाद मैंने एक एक करके सबके लण्डों को चूसना शुरू किया। मेरे साथ वही सब हो रहा था जो मैं करना चाहती थी। और आज मैं जी भर कर अपनी इच्छा को पूरा करना चाहती थी। इतने सारे लंड एक साथ देख कर मैं पागल सी हो गई थी। मैंने जी भर कर सबके लौड़ों को चूसा और सागर के लंड को मैंने जब अपने मुँह में लिया तो उसे बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था। मैंने सागर का लंड 15 मिनट के लिए चूसा जिससे वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और उसने मेरे सर को पकड़ कर ऊपर किया, मेरे होंठ जो उसके लंड के पानी से भीगे हुए थे उन्हें चूसने लगा और सबको कहा कि मानसी सबसे चुदवाएगी लेकिन अभी हमारे बीच कोई नहीं आएगा।

सबने वैसा ही किया और सब हमें देखते रहे। मुझे शर्म आने लगी थी लेकिन सागर था कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 15 मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद उसने कहा- अब तुम अपने कपड़े उतारो, हम सब तुम्हारी चूत को चाटेंगे।

मैंने सागर से कहा- मेरी चूत पर तो बाल हैं।

उसने कहा- तुम फ़िक्र मत करो।

उसने अपने एक दोस्त को इशारा किया और वो अपने बैग में से रेज़र लेकर आया।

सागर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बाथरूम में ले जा कर बाथ टब में लिटा दिया। उसके बाद उसने मेरी टांगें फैला दी और मेरी चूत को गीला करके उस पर ढेर सारा साबुन लगा दिया। उसके बाद उसका एक दोस्त मेरी चूत के होठों को खोलता जा रहा था और सागर बड़े प्यार से मेरी चूत के बाल साफ़ कर रहा था। सागर का एक दोस्त मेरे होंठों को चूस रहा था, एक मेरे वक्ष मसल रहा था और बाकी सब वहीं खड़े होकर देख रहे थे। यह सब देख कर उनके लौड़े भी तनकर खड़े हो चुके थे। थोड़े बाल साफ़ करने के बाद सागर ने मेरी चूत को पानी से धोया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं काँप उठी जैसे कोई करंट लगा हो।

थोड़ी देर में जब उसने मेरी चूत पूरी तरह साफ कर दी तो उसके बाद नितिन मुझे उठा कर कमरे में ले आया और लाकर मुझे बेड पर लिटा दिया। कमरे में लाते ही सागर मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया और चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखने लगा। मुझे शर्म आने लगी और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया।

तभी सागर बोला- क्या चिकनी बुर है। इसे तो मैं जी भर कर चूसूंगा उसके बाद चोदूंगा।
तब उसके सभी दोस्तों ने बारी बारी से मेरी चूत को चाटा। मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था क्यूंकि सब के सब मेरे साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे और मैं पागल सी होती जा रही थी।

अब सागर की बारी थी। सागर आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गया था। इससे पहले मैं कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी।

सागर ने मेरी टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत के होंटों को खोल दिया। उसके बाद सागर ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और नीचे झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। उसकी गरम जीभ अपनी चूत के अन्दर जाते ही मैं अन्दर तक सिहर गई। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं किसी स्वर्ग में घूम रही हूँ। मेरी चूत को चाटते हुए सागर घूम गया और उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह की तरफ कर दिया और कहा कि मैं उसे अपने मुंह में लूँ।

मैंने जैसे ही उसका गर्म लंड अपने मुंह में लिया वैसे ही उसके बदन में भी एक करंट सा लगा। अब हम 69 अवस्था में थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लगभग आधे घंटे उसी अवस्था में रहने के बाद सागर मेरे ऊपर से हट गया। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और सागर था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।

सागर ने अपने दोस्तों से कहा- यार, बहुत अच्छा लौड़ा चूसती है, बहुत मस्त माल है।

तभी उसके दोस्त ने कहा- फिर तो इसकी जी भर कर चुदाई करेंगे।

नितिन ने कहा- यार इतना मस्त माल है तो चोदने में मज़ा आ ही जायेगा और वो भी अपने मर्ज़ी से चुदवा रही है।

तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर मैं इनसे अपनी मर्ज़ी से चुदवाऊँ तो यह लोग बहुत आराम से चोदेंगे लेकिन मैं इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी और जबरदस्त चुदाई करवाना चाहती थी। इसलिए मैंने एक चाल चली। जब सागर मेरे ऊपर से हट कर अलग हुआ तो मैं उठ कर खड़ी हो गई और कहा- बस अब यह सब यहीं ख़त्म करो और मुझे जाने दो।

तभी नितिन ने कहा- जाती कहाँ है साली रंडी ! अभी तो तेरी चुदाई बाकी है।

मैंने कहा- मुझे छोड़ दो !

और मैं कमरे से बाहर जाने लगी कि तभी उसने मुझे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया। मैंने सागर की तरफ देखा तब मैंने महसूस किया कि उसे भी शायद यह सब अच्छा नहीं लग रहा और वो भी नहीं चाहता कि यह सब हो लेकिन अब हम कुछ नहीं कर सकते थे। अगर वो अपने दोस्तों को मना भी करता तो कोई उसकी बात नहीं सुनता और सब मेरे साथ जबरदस्ती करते। जबरदस्ती तो वो लोग अब भी कर ही रहे थे क्यूंकि मैं भी यही चाहती थी।

मैंने नितिन से कहा- प्लीज़, मुझे जाने दो !

लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उठने की कोशिश की लेकिन तभी उनके दोस्तों ने मेरे हाथ और मेरे पांव पकड़ कर मुझे पूरी तरह जकड लिया और सागर आकर मेरे स्तनों को मसलने और दबाने लगा। नितिन गन्दी गन्दी गालियाँ देने लगा। साली रंडी दस-दस लोगों से चुदवाने को तैयार है और सीधी बनने की कोशिश करती है। आज देख तेरी ऐसी चुदाई होगी रंडी कि तू सारी ज़िन्दगी याद रखेगी। तेरी चूत का भोसड़ा बनायेंगे आज। ऐसा चोदेंगे कि दुबारा किसी से चुदने से पहले दस बार सोचेगी।

मैं समझ गई थी कि सब लोग गरम हो चुके हैं और मैं भी अपनी चूत में लंड लेने को बेकरार थी। सागर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगा और मम्मों को दबाने लगा। मेरे हाथ और पैर तो उसके दोस्तों ने पकड़ रखे थे। इसलिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी। तभी सागर सीधा होकर मेरी चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया और मेरी टांगें फैला कर ऊपर की ओर कर दी। उसका एक दोस्त मेरे होंठों को चूसने लगा और नितिन मेरे मम्मों को मसलने लगा। मेरे मम्मों में भी दर्द हो रहा था।

तभी सागर ने अपना नौ इंच लम्बा लंड मेरी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक चला गया। मुझे सबने इतने कस कर पकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला, मैं दर्द के मारे तड़प उठी और हिल ना पाने की वजह से अन्दर ही तड़प कर रह गई। होंठ भी एक लड़के ने अपने होंठों से बंद कर रखे थे तो आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आंसू आ गए जिसे देख कर सागर को दुःख हुआ और वो अपना लंड बाहर निकालने लगा।

मैंने इशारे से उसे मना कर दिया। वो थोड़ी देर के लिए रुक गया। और जब दर्द कुछ कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था तो मैं भी सागर का पूरा साथ देने लगी। मैंने उन्हें अपने हाथ और पैर छोड़ने को कहा। और दो लड़कों के लौड़ों को अपने हाथों में लेकर उनकी मुठ मारने लगी। नितिन का लंड मेरे मुंह में था। दो लड़के मेरे मम्मों को पकड़ कर मसलने लग गए और बाकी सब अपनी अपनी जीभ मेरे पूरे बदन पर रगड़ रहे थे। मेरा पूरा बदन एक साथ चुद रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब आधे घंटे चुदाई करने के बाद सागर ने सबको कहा- अब सब झड़ने के लिए तैयार हो जाओ।

मैंने उन सबसे कहा- अपने लौड़ों का पानी मेरे ऊपर डाल दो और सागर से कहा कि तुम मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ना।

सागर ने वैसे ही किया। करीब 5 मिनट के बाद चारों लड़के (सागर, नितिन) और जिनके लंड मेरे हाथ में थे, एक साथ झड़े और सबने अपना पानी मेरे ऊपर डाल दिया। सागर का गरम वीर्य मैं अपनी चूत में महसूस कर रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

उसके बाद बाकी सबने भी मुझे बारी बारी से चोदा। उस पूरी रात में मेरी बारह बार चुदाई हुई। बाकी सबने एक एक बार और सागर और नितिन ने मुझे दो-दो बार चोदा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसके बाद सबने बाथरूम में जाकर अपने लौड़ों को साफ़ किया और सुबह के छः बजे जाकर कमरे में सो गए। लेकिन मैं इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद उठने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी। तब सागर ने कहा- मानसी, तुम यहीं रहो, मैं आता हूँ।

और उसके बाद वो बाथरूम में जाकर बाथटब में गरम पानी भर कर आया। और मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया। उसने जाकर मुझे टब में लिटा दिया और मेरी चूत को हल्के हाथ से सहलाने लगा। इससे मेरी चूत को बहुत आराम मिल रहा था। मेरी पूरी चूत बुरी तरह से लाल थी और बहुत दर्द हो रहा था। उसके बाद सागर ने मुझे लाकर बिस्तर पर लिटाया। और मेरे बदन को पोंछा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। तभी सागर आकर मेरे पास लेट गए और मुझे रजाई में लेकर अपने साथ चिपका लिया। मुझे उसकी बाहों में एक सुकून सा मिला। जिस इंसान की कमी मैं अपनी ज़िन्दगी में महसूस करती थी, लगा कि सागर उस कमी को पूरा कर सकता है। लेकिन यह बात मैं उसे कैसे कहती। उसके सामने ही उसके दोस्तों से चुदी हूँ।

तब सागर ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा- मानसी, मुझे माफ़ कर दो। आज तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार मैं ही हूँ। ना मैं शुरुआत करता और ना तुम्हारे साथ यह सब होता। लेकिन मैं सच में तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम यही सोच रही होगी कि तुम्हारे साथ ऐसा करने के बाद भी मैं यह सब कह रहा हूँ। लेकिन ये सच है मानसी। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ।

तुम्हारे भाई के वापिस आते ही मैं उससे तुम्हारा हाथ मांगूंगा।

और मैं भी उसकी बात को स्वीकार करते हुए उसके कंधे पर सर रख कर लेट गई। नींद कब आई पता ही नहीं चला।

जब नींद खुली तो सुबह के 11 बज रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने। सब लोग नहा कर तैयार हो गए। पूरा बदन रात की चुदाई से दर्द कर रहा था। लेकिन इस दर्द में उस प्यार का एहसास भी था जो मुझे सागर से मिला था। उसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाईं। सब लोग चाय पीकर निकल गए और जाते जाते सागर ने मुझसे कहा कि मैं उसका इंतज़ार करूँ, वो मुझे लेने आएगा। उसकी बात पर यकीन भी था लेकिन मन में शक भी था। उसके बाद दो साल तक सागर की कोई खबर नहीं आई। ना ही भाई से पूछने की हिम्मत थी उसके बारे में।

तब तक मेरी पढ़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी। घर में मेरी शादी की बातें होने लगी थी। लेकिन मुझे तो सागर का इंतज़ार था। कभी कभी लगता कि अगर उसे आना ही होता तो क्या वो इन दो सालों में मुझसे मिलने की बात करने की कोशिश नहीं करता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ इसका मतलब उसने जो कहा शायद वो सब मुझे दिलासा देने के लिए कहा था। मैंने घर वालों को शादी के लिए हाँ कह दी और कहा कि वो जिसे भी मेरे लिए पसंद करेंगे मैं उसी से शादी कर लूंगी।

एक दिन मम्मी ने बताया कि मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं। मन में एक अजीब सा डर समाया हुआ था और सागर की बातें भी दिमाग में घूम रही थी। जब लड़के वाले आ गए तो मुझमें हिम्मत ही नहीं थी कि एक नज़र उठा कर उस लड़के को देखूं। यह शादी तो वैसे भी मैं घर वालों की ख़ुशी के लिए कर रही थी। मैं जाकर कमरे में बैठ गई। थोड़ी देर इधर उधर कि बातें होती रही। लेकिन मैंने एक नज़र उठाकर उस लड़के की ओर एक बार देखा तक नहीं क्यूंकि मुझे सिर्फ सागर का इंतज़ार था। जब मैं उन लोगों के सामने गई

तो लड़के की माँ बोली- हमें आपकी बेटी पसंद है।

मैंने सोचा- बिना कुछ पूछे बिना कुछ जाने एक ही नज़र में पसंद कर लिया।

तब लड़के की मम्मी ने कहा- दोनों को एक दूसरे से बात कर लेने दो।

मेरी तो सांस ही अटक गई। क्या बात करुँगी, कैसे करुंगी। तब मेरी बहन हमे ऊपर वाले कमरे में ले गई। मैंने अब तक एक बार भी नज़र उठा कर उस लड़के की ओर नहीं देखा था क्यूंकि यह शादी मेरी मर्ज़ी नहीं मजबूरी थी। कमरे में आने के बाद बहन बाहर चली गई। मैं और वो लड़का बैठ गए।

तब उसने मुझसे कहा- क्या बात है, आप मेरी तरफ देखेंगी नहीं?

आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी। चेहरा उठा कर ऊपर देखा तो वो सागर ही था। मैं एक दम से खड़ी हो गई और उसे देखती ही रही। मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला और उसने सिर्फ इतना ही कहा- मानसी, मैंने जो वादा किया था उसे पूरा करने आया हूँ।

उसे देख कर मेरे दिल में जो ख़ुशी थी वो मेरी आँखों में साफ़ दिखाई दे रही थी। लेकिन उसके साथ ही आंसू भी थे। मैंने कहा- अब तुम्हें याद आई मेरी ? दो साल मैंने कैसे बिताए, जानते हो?

उसने बस इतना कहा- दो साल बाद मिल रही हो, गले भी नहीं लगोगी क्या?

मैं उसके गले लग गई और रो पड़ी। उसने कहा- क्या हुआ? रो क्यूँ रही हो?

मैंने कहा- इतने दिनों के बाद आये हो, यह भी नहीं सोचा कि मेरा क्या हाल होगा। तुमने तो कहा था कि भाई के आते ही उससे बात करोगे।

तो उसने कहा- मानसी, जब मैं तुमसे मिला था, उस वक़्त मेरी नौकरी बिल्कुल नई थी, जीवन में स्थापित होने के बाद ही तो तुम्हारे भाई से तुम्हारा हाथ मांगता। पहले मांग लेता तो वो मना कर देता। आज उसे पता है कि मैं अपनी जिन्दगी में सुस्थपित हूँ और तुम्हें खुश रख सकता हूँ इसलिए वो भी मेरे एक ही बार कहने पर मान गया। और इसलिए आज मैं अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर लेकर आया हूँ तुम्हारा हाथ मांगने। और तुम्हारे घर वालों ने इसलिए कुछ नहीं बताया था क्यूंकि मैं तुम्हें आश्चर्य-चकित कर देना चाहता था। अगर तुम्हें पहले पता होता तो मैं तुम्हारे चेहरे के वो भाव ना देख पाता जो मेरी आवाज़ सुनकर तुम्हारे चेहरे पर थे।

मैं उसे कुछ नहीं कह पाई और उसके गले लग गई। आज मैं बहुत खुश हूँ।

अपार्टमेन्ट



मेरा नाम नेहा है, उम्र 26 साल है। यह कहानी मेरी आपबीती है। मैं एक मॉडल हूँ, मैं दिल्ली से मुंबई चली गई यह सोच कर कि मुंबई में ज्यादा अवसर हैं। जाने से पहले मैंने सोचा था कि मैं अपने आप को वहाँ सेट कर लूँगी लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि मुंबई में सेट होना कितना मुश्किल है। आज की भागदौड़ की दुनिया में हर आदमी कमीना है। लेकिन मुझे भी अब इस दुनिया में अपना काम निकालना आ गया है।

मैं अगस्त के महीने में मुंबई पहुची। कुछ दिन तो एक सहेली के घर पर रुक गई। एक दो जगह से कुछ मॉडलिंग का काम भी मिल गया था। एक बात मैं बताना चाहूंगी, मेरे स्तन थोड़े बड़े, मोटे और गोल हैं। मैं कुछ भी पहनती हूँ तो वो मेरी छाती पर कस जाता है। इसी वजह से सड़क पर चलते हुए या कहीं मॉडलिंग करते हुए लोग मुझे घूरते रहते हैं। कभी कभी रात को सोते समय सोचती हूँ कि अगर उन सब मर्दों को मैं उनकी मर्ज़ी का करने दूँ तो वो मेरा क्या हश्र करेंगे ! सबकी आँखों से ही हवस टपकती है !

मैं एक अपार्टमेन्ट किराए पर लेने के लिए गई। प्रोपर्टी एजेंट एक 30-32 साल का आदमी था। उसने फ्लैट दिखाया और मुझे पसंद भी आ गया। वो भी मुझे बार बार घूर रहा था। फ्लैट का किराया उसने 12000 रुपए महीना बताया। मेरे लिए यह ज्यादा था। मैं 8000 ही दे सकती थी। मैंने यह बात उसको बताई, तो उसने बोला- नेहा जी, किराया इतना कम करना मुश्किल है, 12 का 11 हो सकता है, लेकिन 8 हज़ार होना असंभव है।

मैंने उसको थोड़ा आग्रह किया तो उसने बोला कि वो मकान-मालिक से बात करके मुझे बताएगा।

उसी दिन शाम को 6:30 पर उसका फ़ोन आया। उसने बोला कि उसकी बात हुई है और मकानमालिक मुझसे मिलना चाहता है। मकान देने से पहले वो देखना चाहता है कि किरायेदार कैसी है।

उसने कहा- आप कल मेरे ऑफिस में आ जाईये, मकान-मालिक भी यहीं आएंगे, यहीं किराए की भी बात हो जाएगी। उम्मीद है कि 10 हज़ार में बात बन जाए।

मैं अगले दिन एजेंट के ऑफिस गई। मैंने पतली साड़ी पहनी थी। एजेंट के ऑफिस में मकान-मालिक पहले से ही पहुँचा हुआ था। वो एक 40 साल का थोड़ा मोटा मर्द था। उसकी मूछें भी थी। मुझे देखते ही वो मुस्कुराया और उसकी नज़र भी मेरी छाती पर ही पड़ी। हमेशा की तरह मेरा ब्लाऊज़ कसा हुआ था और पतली साड़ी के आर-पार मेरी वक्षरेखा दिख रही थी।

मैं बैठ गई और हमारी बात शुरू हुई। बातों बातों में उन दोनों को पता चल गया कि मैं मुंबई में अकेली हूँ और मॉडल हूँ।

दोनों आपस में एक दूसरे को देख के मुस्कुरा रहे थे। मकान-मालिक ने कहा- अकेले तो हम सभी हैं। आपको मुंबई में घबराने की कोई बात नहीं है। कभी कोई ज़रुरत पड़े तो मुझे बताइएगा। आप बहुत खूबसूरत हैं और अच्छे घर से हैं इसलिए मैं आपको यह घर 10000 में दे रहा हूँ। नहीं तो इस एरिया का रेट 12 के ऊपर ही है।

मैं समझ गई कि उसके दिमाग पर भी हवस सवार है, नहीं तो वो मुझ पर एहसान क्यों करता ! मैंने भी इस मौके का फायदा उठाना चाहा, मैंने बोला- मुझे तो यह घर 8000 में चाहिए। शर्मा जी, अब तो मैं आपके फ्लैट में रहूंगी, हमारी बात होती ही रहेगी। यह तो लम्बी जान-पहचान है, आप मुझे यह घर 8000 में दे दीजिये।

उसने बोला- अरे नहीं, 8 तो बहुत कम हैं। इसमें तो मेरा कोई फायदा नहीं, उल्टा नुक्सान ही है।

इतने में एजेंट बोल पड़ा- अरे शर्मा जी, नेहा मैडम मॉडल हैं, इनसे जान पहचान बढ़ेगी तो फायदा ही फायदा है, नुकसान कैसा?

मकान-मालिक जोर से हस पड़ा और फिर मेरे वक्ष को घूरने लगा। मुझे अब वहाँ अजीब लग रहा था, दोनों मर्दों की आँखों से हवस टपक रही थी। एजेंट का ऑफिस बिलकुल बंद और वातानुकूलित था और उसके अन्दर मैं इन दोनों के साथ फंस सी गई थी।

मकान-मालिक ने अपना एक हाथ मेरे घुटनों के पास रख के हल्का सा दबाया और बोला- अब आप ही बताइए नेहा जी, मेरा क्या फायदा होगा?

इस से पहले कि मैं कुछ बोलती, एजेंट ने उठ कर चिटकनी लगा दी और मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया। फिर मुझे बोला- नेहा जी, यह घर आपको 8 क्या, 7000 में मिल सकता है अगर आप चाहें तो ....

मैंने बोला- क्या मतलब?

एजेंट ने मेरे पीछे खड़े खड़े अपने दोनों हाथ मेरे कन्धों पर रख दिए और बोला- बस हमारे साथ ठोस सहयोग करिए..!

इधर मकान मालिक ने भी अपने हाथ मेरे घुटनों से सरका के ऊपर मेरी जाँघों पर रख दिए थे।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मेरे मन में इन दोनों के लिए बहुत घृणा आई। फिर अचानक लगा कि थोड़ी देर की ही बात है, कहाँ 12000 का फ्लैट, कहाँ 7000/- मैं इसी सोच में थी, अभी कुछ बोल नहीं पाई थी।
एजेंट ने धीरे से मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिया दिया- ओह सॉरी, नेहा जी !
और पीछे खड़ा होकर मेरे वक्ष का नज़ारा लेने लगा। मकान-मालिक मेरी जाँघों को हल्के-हल्के दबा रहा था। दो मर्द मुझे एक साथ छू रहे थे, मैं तो अन्दर से काँप रही थी।


अचानक ही एजेंट ने मेरे दोनों बाहें पकड़ी और मकान-मालिक ने मेरे दोनों पैर और मुझे कुर्सी से उठा लिया। मैं हवा में थी और इन दोनों ने मुझे उठाया हुआ था। फिर उन्होंने मुझे सोफे पर पटक दिया। सोफा बहुत बड़ा था, काले रंग का चमड़े का सोफा।

मकान-मालिक फिर बोला- नेहा जी, बस सहयोग करो, मजे भी आपके, घर भी आपका।

उसने मेरे दोनों स्तन पकड़ लिए और उनको मसलने लगा।

मैं चीख उठी ..।

उसका हाथ बहुत तगड़ा था।

एजेंट ने मेरी साड़ी उतारनी शुरू की और दो ही पल में मेरी साड़ी ज़मीन पर पड़ी थी। फिर दोनों ने मुझे उठ कर खड़ी होने के लिए कहा। मैं उठ गई। वो दोनों सोफे पर बैठ गए, मुझे बोला कि मैं अपना ब्लाऊज़ और पेटिकोट उतारूं।
मुझे बहुत शर्म आ रही थी।


दोनों ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा हुआ था और उसको मसल रहे थे। मुझे समझ आ गया कि अब यहाँ से भागने का कोई तरीका नहीं है। मैं उनकी बात मानती जाऊं तो ही मेरा कम से कम नुक्सान है।

मैंने अपने ब्लाऊज़ के हूक खोले और उसको उतार के नीचे फेंक दिया। दोनों की आँखे फटी रह गई। मेरे स्तन बहुत ही गोरे और मोटे हैं और मैं जानती हूँ कि ये किसी को भी पागल बना सकते हैं। फिर मैंने अपने पेटिकोट का नाड़ा खोला और वो नीचे ज़मीन पर गिर गया। मैं उन दोनों हब्शी मर्दों के सामने अब सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी। मेरा गोरा जिस्म देख कर दोनों पागल हो चुके थे। दोनों ने पैन्ट की जिप खोल के अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उससे सहला रहे थे।

फिर मकान-मालिक बोला- नेहा जी, अब और नहीं रुका जा रहा, ज़रा जन्नत के नज़ारे करवाओ, ये सब भी उतार फेंको।

मैंने अपनी ब्रा खोल दी। ब्रा के खुलते ही मेरे स्तन उछल कर सामने आ गए। बड़े-बड़े गोरे सुडौल स्तन देख कर दोनों के मुँह में पानी आ गया।

एजेंट मेरी तरफ लपका, लेकिन मकान-मालिक ने उसे रोक दिया- अभी रुक यार ! नेहा जी, अपनी पैन्टी भी उतारो।

मैंने पैन्टी की दोनों तरफ़ इलास्टिक में अपनी ऊँगलियाँ डाली और उसको नीचे सरका दिया।
मेरा पूरा नंगा जिस्म अब उन दोनों के सामने था। लम्बा गोरा जिस्म, बड़े बड़े स्तन, मस्त चिकनी चूत और मक्खन जैसी जांघें। मुझे देखने के लिए मेरे ऑफिस में लोग पागल रहते हैं। आज तक किसी को मेरा जिस्म नहीं मिला और यहाँ ये दोनों पूरी तरह उसका मज़ा ले रहे थे। मुझे शर्म भी आ रही थी और कहीं न कहीं एक गन्दा सा मज़ा भी आ रहा था।


मकान-मालिक ने कहा- तुझे घर चाहिए न सस्ते में? चल अब उलटी होकर झुक जा और अपनी गांड दिखा !

मैं दूसरी तरफ घूम कर झुक गई और दोनों हाथ से फैला कर उन्हें अपनी गांड दिखा रही थी। फिर उनके कहने पर मैं दोनों हाथ और घुटनों के बल खड़ी हो गई, किसी कुतिया की तरह। मुझे बहुत बुरा लगा यह, लेकिन वहाँ और कोई चारा नहीं था।

फिर मकान-मालिक ने मुझे अपने पास खींच कर मेरे मुँह में अपना लौड़ा ठूस दिया। मैं कुतिया की तरह झुकी हुई मकान मालिक का लौड़ा चूस रही थी। उधर एजेंट मेरे पीछे जा के मेरी गांड सहलाने लगा। मेरी गोरी चिकनी गांड देख कर उससे रहा नहीं गया, उसने मेरी गांड में अपना मुँह घुसा दिया और उससे चाटने लगा। मेरी गांड पर उसकी जीभ लगते ही कर्रेंट सा लग गया। मैं सिसकारी भर उठी ...आहऽऽ स्स्स्सस.....

मकान-मालिक बोला- देख रे, मज़ा आ रहा है साली को !

और उसने मेरा सर पकड़ कर वापस मेरे मुँह में अपना लंड घुसा दिया।

मैं सिसकारी भर रही थी .... आह स्स्स्स गुलुप गुलुप म्मम्मम्म म्मम्मम्मम म्म्म्मम्म

अब तक मेरी चूत भी एक दम गीली हो गई थी और एजेंट पीछे से मुँह घुसा के मेरी चूत का रस चाट रहा था। फिर वो उठा और उसने अपने लंड का सुपारा मेरी गांड के छेद पर टिका दिया। मैं एक दम से चीख उठी- नहीं नहीं ! मेरी गांड मत मारना, बहुत दर्द होगा ! नहीं .....

लेकिन उसने मेरी एक न सुनी और अपने लंड का धक्का मारा.... उसका लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया..

...आहऽऽ ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ मैं दर्द से काँप उठी और पूरी ताकत से चिल्ला उठी।

उसने फिर अपना लंड बाहर निकाला और फिर पूरा अन्दर घुसा दिया। मेरी गांड फट चुकी थी। वो मेरी चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था और पागल कुत्ते की तरह मुझे चोदे जा रहा था। थोड़ी देर में उसकी स्पीड बढ़ गई, उसने झुक के मेरे स्तन दबाये और गरम वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया। उसके गरम वीर्य से मुझे अच्छा लगा, थोड़ा दर्द भी कम हुआ। उसका शरीर थोड़ा ढीला हुआ और वो मेरे ऊपर से उठा।

मकान-मालिक अभी भी मुझसे अपना लौड़ा चुसवा रहा था। वो अब उठा और मुझे भी उठाया। मेरे पैर काँप रहे थे। यह मैंने अपने साथ क्या कर लिया था !!
उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी दोनों जांघें फ़ैला दी और मेरी चूत में अपनी जीभ घुसा दी !


मैं पागल हो उठी ...आहऽऽ ऽऽ स्स्स्स ...आहऽ ......आहऽऽ ऽऽ चोद डालो मुझे ! चोदो शर्मा जी .....

वो उठा और बोला- ये लो नेहा जी, जैसी आपकी मर्ज़ी !

और इतना कहते ही उसने अपना काला मोटा 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मेरी चूत चरमरा उठी...। मैं कराह उठी ..आहऽऽ ऽऽ स्स्स्स ...आहऽ ......आहऽऽ ऽऽ

वो स्पीड से धक्के मार रहा था। उसके धक्कों से मेरे स्तन उछल रहे थे। एजेंट मेरे सर के पास आया और मेरे मुँह में अपना लौड़ा डाल दिया। थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही उन दोनों से चुदती रही।

थोड़ी देर के बाद एजेंट फिर से झड़ने वाला था। उसने मेरे मुँह से अपना लौड़ा निकला और मेरे मुँह के ऊपर मुठ मारने लगा। उसका गाढ़ा वीर्य बाहर आया और मेरे पूरे चेहरे पर फ़ैल गया। मैंने अपनी आँखें और मुँह बंद कर लिया था। लेकिन उसने ज़बरदस्ती मेरा मुँह खुलवा दिया और अपने लौड़े से वो वीर्य मेरे मुँह में डाल दिया। अजीब सा लिसलिसा सा नमकीन सा स्वाद था। मजबूरी में मुझे वो गटकना पड़ा।

उधर मकान-मालिक अभी भी मुझे पागल कुत्तों की तरह चोद रहा था। मेरी चूत फ़ैल गई थी, उससे रस निकाल रहा था, वो फूल गई थी। मेरी गांड में अभी भी दर्द था, एजेंट का वीर्य भरा हुआ था। मैंने चारों तरफ देखा ..बंद कमरा और मेरे ऊपर पसीने से लथपथ दो हब्शी चढ़े हुए थे।

मुझे मज़ा भी आ रहा था अब। मैं एक रंडी की तरह दो मर्दों से चुदने का मज़ा ले रही थी- चोदो और चोदो मुझे .. आआह्ह्ह्ह .. स्स्स्स.. और जोर से ... आआअह्ह्ह्ह ...

मैंने अपने नाख़ून सोफे में घुसा दिए थे ... मेरी चूत में पानी भर गया था और छप-छप की आवाज़ आ रही थी। मकान-मालिक ने एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। मैं भी कराह उठी ....वो 20-30 सेकंड तक झाड़ता ही रहा .. उसने मेरी जाँघों पर दांत से भी काट लिया ...
फिर वो दोनों उठे और मेरी तरफ देखा। मैं सर से पैर तक, आगे-पीछे वीर्य से ढकी हुई थी।


मैंने बोला- तुम दोनों ने मुझे वीर्य से नहला दिया है। हब्शी कुत्ते हो दोनों !

यह सुन कर दोनों हँस पड़े। एजेंट बोला- मज़ा तो तुझे भी बहुत आया न साली?
दो घंटे की इस रासलीला के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। फिर मुझे बाथरूम में जाकर तैयार होने के लिए बोला। जब मैं बाथरूम में गई तो वो दोनों भी आ गए।


एजेंट बोला- हमारे सामने अपनी सफाई करो नेहा जी ! हम भी देखे ऐसी जन्नत जिस्म वाली गोरियां क्या करती हैं बाथरूम में !

दोनों हाथ से अपने लण्ड को रगड़ रहे थे। मकान-मालिक बोला- नेहा जी, एक बार हमारे सामने मूत के दिखाओ।

मुझे उस दरिन्दे से अब डर लग रहा था, मैं नीचे बैठ गई और मूतने लगी। मेरी चूत चुद चुद कर फूल गई थी। उसमें से जैसे ही मेरी धार निकली तो छुर्र्र चुर्र्र की आवाज़ आने लगी।

उन दोनों को यह देख कर बहुत मज़ा आया .... दोनों बहुत जोर जोर से मुठ मार रहे थे ...

एजेंट मेरे पास आया और मेरे वक्ष पर अपना वीर्य झाड़ने लगा। उसके बाद मकान-मालिक आया और उसने मेरे बालों पर अपना वीर्य झाड़ दिया। मैं बाथरूम में साफ़ होने आई थी लेकिन और गन्दी हो गई।

दोनों मेरे पास ही खड़े थे और मेरे ऊपर अपना वीर्य टपका रहे थे। अचानक से मैंने कुछ और गर्म सा महसूस किया। नज़र ऊपर करके देखा तो मकान-मालिक मेरे ऊपर पेशाब कर रहा था। मैं घृणा से छटपटा उठी और उठ कर हटने लगी। लेकिन मकान-मालिक ने मुझे सर पकड़ के नीचे दबा दिया और बैठे रहने को बोला। मैं बस चुपचाप एक दासी की तरह बैठ कर वो गरम-स्नान लेती रही। उसके बाद एजेंट आया और उसने मुझसे बोला कि मैं दोनों हाथ से पकड़ कर अपने स्तन को ऊपर उछालूँ।

मैंने ऐसा ही किया। फिर वो भी मेरे ऊपर पेशाब करने लगा। उसने अपनी धार मेरे स्तनों पर मारी। मैं अपने ही हाथों से पकड़ कर अपने स्तनों को एजेंट के पेशाब में नहला रही थी।

यह सब करके दोनों बाहर चले गए। जाते जाते बोला- नेहा जी, आपने बहुत खुश किया हमें। हम भी आपको खुश करेंगे।

जब मैं ठीक-ठाक होकर वापस आई तो उन्होंने मुझे फ्लैट के कागजात दिए। उन्होंने मुझे वो फ्लैट 6500 में ही दे दिया था।

मैंने बहुत खुश हुई और सोचा कि मेरा क्या गया, आधे दाम में घर मिल गया और मजे भी मिले, इसके बारे में किसको पता चलेगा !

यही सब सोचते हुए मैं वहाँ से चली आई और समझ गई कि मुंबई में अकेली रह कर कैसे काम निकलवाना है !